एक रात की ख्वाहिश……..!!!!

एक रात की ख्वाहिश

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एक रात की ख्वाहिश,,,,

रात गहरी-काली हो
खुला आसमान और एक आराम कुर्सी,,,,
सामने एक मेज
जिस पर हो एक ब्रांडेड शराब की बोतल
कुछ तीखी नमकीन,
एक बर्तन में कुछ बर्फ के टुकड़े
एक लाईटर-एक महंगी सिगरेट की खुली पैक
मेरे हाथ में एक काँच की गिलास
जो आधा भरी हो शराब से
और दुसरे हाथ में आधी
जली हुई सिगरेट
जिसकी धुंध आसमान की ओर
मेरे होठों से उड़ती हो,
मेरे पैर मेरे सामने वाले मेज पर
क्रॉस कर रखें हों,
कोई ना हो रोकने-टोकने-देखने-सुनने वाला
और ना ही मेरे शराब-सिगरेट में
कोई हिस्सेदारी रखने वाला,
कहीं दूर जलती रहे कोई मशाल
बस उसी की रोशनी रहे
ये चाँद-तारों की नहीं…!!!!

Ishq Or Ibadat : Book Review

Ishq Or Ibadat

Rumi is one of the world’s most famous poets, and his poetry is truly treasured across continents and cultures.

This translation is good for those who find it difficult to read hindi. One may read Rumi’s poems as one’s yearning to return to the divine or simply interpret it as the heart’s yearning for one’s true love. It’s moving, simple, spiritual but not dogmatic.

I enjoy reading different interpretations of Rumi’s work. A good translation of his work helps readers to connect better to his original work.

Thoroughly enjoyed reading the book, recommended!

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ये जो हुआ,,,उसे होना ही था एक दिन……..

ये जो हुआ
उसे होना ही था एक दिन
जब बीज उसने बोये थे
तुम्हारे भीतर प्रेम के और तुमने
सींचा था उन्हे अपने सम्पूर्ण समर्पण से
तभी सुनिश्चित हो चुका था इस घटना का होना

हरकते दिखला रहीं थी उसकी
एक छोटे से अन्तराल के पश्चात
परिवर्तन होगा उसका ह्रदय गर्भ
जन्मेगा एक नया प्रेम उसके भीतर
जो कैद हो तुम अभी उसके
मन- मस्तिष्क-ह्रदय-धड़कन मे
होगा कोई अन्य एक वक्त पश्चात

तुम कुछ ही वक्त के लिए हो उसकी जिन्दगी मे
तुम कुछ ही वक्त के लिए हो उसकी जिन्दगी
तुम इस सत्य से अभिन्नन थे
किन्तु यथार्थ यही है
और आज देखो ना घटित भी हो गया

किन्तु तुम प्रलाप मत करना
क्रुदन मत करना+क्योंकि
तुमने सह चुका है यह पीड़ा
इस क्षणिक प्रेम के दिखावे के पूर्व ही

तुम्हे इस बात का स्मरण रहना चाहिए
यदि तुम्हारे भाग्य मे प्रेम वास्तव मे ही होता
वह पहला अंकुरित बीज जो तुम्हारे ह्रदय मे
किशोरावस्था मे उपजा था
युवावस्था मे उसका नन्हाँ पौधा क्यों समय के पहिये से नष्ट होता

जो आये तुम्हारे समक्ष
जो आये तुम्हारे जिन्दगी में
जिसे जरूरत हो स्नेह की
जिसे जरूरत हो कुछ पल साथ की
तुम उसे अपना प्रेम-समर्पण दो
बिना इस ध्येय के
कि तुम्हें तुम्हारे कर्मों का फल मिलेगा

तुम तो रिक्त हो चुके थे बहुत पहले ही
जब बिछड़े थे तुम अपने अलहड़ साथी से
अब तो तुम भर रहे

लोगों की रिक्तियों को
तुम कुछ खो नहीं रहे
तुम तो दे रहे लोगों को

तुमने अपने हिस्से का प्रेम जी लिया है
पूर्व ही अपने पहले बिछड़े साथी के संग ही
अब तो तुम जीना सीखा रहे
किसी के बिछड़े साथी को

तुम सम्पूर्ण हो
तुम्हें कोई आवश्यकता नहीं
किसी के प्रेम-दया की
यह स्मरण रखना तुम…!!!!

क्योंकि, क्योंकि तुमनें प्रेम किया है……. !!!!

….

यदि तुम
उससे वास्तव में प्रेम करते हो
उसे स्वंत्रत रहने दो
अपने शक के बंधन में मत जकड़ो उसे

मनन मत करो अपने प्रेम पर
अपने प्रेम को वास्तविक-कृत्रिम
तुला पर मत तौलों

यदि वह लौट कर ना आये
प्रश्न चिन्ह मत लगाओ अपने समर्पण पर
ना ही चिन्ह करो उसके क्षणिक प्रेम-समर्पण पर

क्योंकि,,,,
क्योंकि तुम्हें ज्ञात होना चाहिए कि
तुम प्रेम कर रहे

प्रेम में
एक प्रेमी दुसरे प्रेमी को
स्वतंत्र कराता है समाज के बंधन से
तुम पुनः कैसे बांध सकते हो उसे अपने बंधन से

तुम्हें प्रेम प्रदर्शन से पूर्व
इस बात के लिए
स्वयं को सक्षम कर लेना चाहिए
यदि तुम्हारा साथी

तुम्हारी हथेली छोड़
किसी और की हथेली पर अपना हाथ रखता है
तब भी तुम बैचेन-उग्र नहीं होगे
तुम जाने देना उसे
उसे उसकी जिन्दगी जीने देना

क्योंकि,,,,
क्योंकि वह तुम्हारी ज़िंदगी है
तुम मौन ही रहना

क्योंकि,,,
तुमने प्रेम किया है उससे
प्रेम आजादी देती है बंधन नहीं
स्मरण रखना….!!!!

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