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एक रात की ख्वाहिश,,,,
रात गहरी-काली हो
खुला आसमान और एक आराम कुर्सी,,,,
सामने एक मेज
जिस पर हो एक ब्रांडेड शराब की बोतल
कुछ तीखी नमकीन,
एक बर्तन में कुछ बर्फ के टुकड़े
एक लाईटर-एक महंगी सिगरेट की खुली पैक
मेरे हाथ में एक काँच की गिलास
जो आधा भरी हो शराब से
और दुसरे हाथ में आधी
जली हुई सिगरेट
जिसकी धुंध आसमान की ओर
मेरे होठों से उड़ती हो,
मेरे पैर मेरे सामने वाले मेज पर
क्रॉस कर रखें हों,
कोई ना हो रोकने-टोकने-देखने-सुनने वाला
और ना ही मेरे शराब-सिगरेट में
कोई हिस्सेदारी रखने वाला,
कहीं दूर जलती रहे कोई मशाल
बस उसी की रोशनी रहे
ये चाँद-तारों की नहीं…!!!!