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मैंने तुम्हें जब जब दिल से पुकारा है
तुम्हें आवाज दिया है
मेरी आवाज मेरी पुकार तुम तक
कभी नहीं पहुचीं
मेरे दिल के तार शायद
तुम्हारे दिल के तार से कभी जुड़े ही नहीं
पहले खुद को फुसला लेती थी
यह कह कर की छत की मुड़ेरे पर बैठ
मैं चाँद से सारी बातें जो कहतीं हूँ
वो तुम तक पहुँच जाती होगी
तब जब तुम भी चाँद के साथ बैठ
गपशप करते होगे
पर अब मेरा वहम-मेरा फितूर राख हो गया
क्योंकि,,,,,
क्योंकि चाँद अब अपनी चाँदनी संग
कोहरे के पीछे जा छुपा है
अब तुम्हें कौन कहता होगा
मेरी पागलपन की हरकतें
अब आईना साफ हो गया है
हमारे बीच कोई तरंग नहीं
जो संदेशा पहुचा सके हमारा….!!!!!
#ziddynidhi